हेलो दोस्तों, आज हम अपनी इस लेख में यह बताने वाले है कि keyboard ki khoj kisne ki thi और कीबोर्ड से जोड़ी बेहतरीन जानकारी देंगे|
आप सभी रोजाना कंप्यूटर का इस्तेमाल करते ही होंगे। कंप्यूटर को लेकर आप सभी को कुछ ना कुछ जानकारी होगी ही और आपको यह भी पता होगा की कंप्यूटर को इस्तेमाल करने के लिए उसका हार्डवेयर सबसे महत्वपूर्ण होता है जिसमें कीबोर्ड सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योकि आप कीबोर्ड के बिना कंप्यूटर पर कुछ भी टाइप नहीं कर पाएंगे तो अपने कभी सोचा है की कीबोर्ड की खोज किसने की और कैसे हुई तो चलिए जानते है कीबोर्ड से जोड़े रोचक तथ्ये के बारे में|
Keyboard Ki Khoj Kisne Ki Thi | कीबोर्ड की खोज किसने की

आप सभी ने कभी ना कभी कंप्यूटर चलाया ही होगा और आपको यह भी पता होगा की कंप्यूटर चलते हुए आप सभी कीबोर्ड का ही ज्यादातर इस्तमाल करते है अपने कभी ना कभी यह भी सोचा होगा की कीबोर्ड की खोज किसने की तो आपको हम बता दे की कीबोर्ड की खोज क्रिस्टोफर लैथम शोलेज (Christopher Lathom Sholes) ने की थी इन्हें फादर ऑफ़ टाइपराइटर भी कहा जाता है क्योंकि टाइपराइटर का आविष्कार क्रिस्टोफर लैथम शोलेज के द्वारा ही किया गया था और QWERTY keyboard ’ के जनक के नाम से भी जाना जाता है।
क्रिस्टोफर लैथम शोलेज के द्वारा किया गया कीबोर्ड का अविष्कार कंप्यूटर की दुनिया के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। क्योंकि कंप्यूटर को चलाने के लिए कीबोर्ड होना बहुत ही जरुरी होता हैं ।
आप सभी बिना कीबोर्ड के किसी भी प्रकार के कंप्यूटर को नहीं चला सकते है किन्तु आज के दौर में टच स्क्रीन वाले कंप्यूटर आ गये है लेकिन फिर भी दुनिया में 90 प्रतिशत से ज्यादा कंप्यूटर कीबोर्ड की मदद से ही चलते हैं, इसलिए कीबोर्ड का आविष्कार कंप्यूटर के लिए बहुत बड़ा अविष्कार था।
कीबोर्ड का इतिहास क्या है
आपको बता दें की कीबोर्ड के अविष्कार की अपनी ही एक अलग कहानी है। सबसे पहले टाइपराइटर की खोज होई थी और आज हम जो कीबोर्ड इस्तमाल करते है वो कीबोर्ड उसी टाइपराइटर का ही एक रूप है यह टाइपराइटर 1700 के दशक में बनया गया था और सबसे पहले 1714 में लंदन इंग्लैंड में हेनरी मिल द्वारा पेटेंट कराया गया था |
1800 के दशक मे पूरी दुनिया भर में बहुत से टीपेइंग उपकरण ( device ) बनाये गए थे लेकिन व्यावहारिक ( practical ) टाइपराइटर और “टाइप – राइटर” शब्द सबसे पहले 23 जून 1868 में क्रिस्टोफर लैथम शोलेज (Christopher Lathom Sholes) द्वारा विकसित किया गया जो की एक अख़बार के संपादक थे तथा पेटेंट भी कराया गया| उस समय में इस टाइपराइटर के कीबोर्ड पर एक काली और सफेद कुंजी थी और इस में 0 और 1 को प्रिंट करने के लिए कोई कुंजी नहीं थी ऐसी कारण से 0 और 1 को प्रिंट करने के लिए ‘O’ और ‘I’ का प्रयोग किया जाता था।
किन्तु इस टाइपराइटर के साथ एक और दिक्कत थी इसकी सारी कुंजियाँ धातु की बनी थी तथा अंग्रेजी वर्णमाला के रूप में लगायी गयी थी इस लिए जब कोई भी तेजी से टाइपिंग करता था तो एक ही लाइन के आस-पास के अक्षर बार-बार दबते थे इस समस्या को दूर करने के लिए क्रिस्टोफर लैथम शोलेज ने कीबोर्ड को एक नए डिजाइन में तैयार करा इसके बाद ही टाइप – राइटर को QWERTY में लेआउट किया गया जिसका इस्तमाल आज भी अमरीकी कीबोर्ड में करा जाता हैं |
क्रिस्टोफर लैथम शोलेज ने कीबोर्ड का डिज़ाइन इस तरह बनाया था की जो अक्षर ज्यादा प्रयोग होते थे वो अक्षर एक तरफ लगाए और वो अक्षर एक तरफ जो कम प्रयोग होते थे |
कीबोर्ड का पूरा नाम क्या है

कीबोर्ड का पूरा नाम इस प्रकार है-
K – Keys
E – Electronic
Y – Yet
B – Board
O – Operating
A – A To Z
R – Response
D – Directly
कीबोर्ड में कितने प्रकार की कुंजी होती है
कीबोर्ड की कुंजी संरचना के हिसाब से छ: प्रकार की कुंजी होती है –
1- अल्फ़ान्यूमेरिक कुंजी (Alphanumeric Keys) – इस कीबोर्ड की कुंजी में अक्षर, संख्या, विराम चिह्न, और सभी प्रकार की कीज होती हैं और ऐसी को अल्फ़ान्यूमेरिक कुंजी हैं |
2- न्यूमेरिक कीपैड (Numeric Keypad) – कीबोर्ड में दिए गए अल्फाबेट कीज के ही ऊपर न्यूमेरिक कीज़ दी जाती हैं। जो की 0 से 9 तक के अंक में होती है इन कीज़ की मदद से आप कोई से भी अंक को टाइप कर सकते हैं। कीबोर्ड के दाईं तरफ भी एक न्यूमैरिक कीपैड दिए जाता है जो बिल्कुल कैलकुलेटर के समान होता है।
3- फंक्शन की (Function Keys) – यह फंक्शन की कीबोर्ड का एक ऐसा की है जो की कंप्यूटर में प्रोग्राम किया जाता है ताकि ऑपरेटिंग सिस्टम कमांड बहुत जल्दी और आराम से दें यह Soft Key के रूप में इस्तमाल करते हैं।
4- विशिष्ट उद्देशीय कुंजी (Special Purpose Keys) – विशिष्ट उद्देशीय कुंजियाँ यह की (Key) कुछ स्पेशल कार्य को करने के लिये इस्तमाल होती है जैसे की – Sleep, Power, Volume, Start, Shortcut, Esc, Tab, Insert, Delete आदि यह सभी कुंजियाँ नये ऑपरेटिंग सिस्टम के स्पेशल कार्य के अनुसार होती हैं।
5- मोडीफायर कुंजी (Modifier Keys) – मॉडिफाई कुंजी में तीन तरह की कुंजी होती है SHIFT, ALT, CTRL अगर हम इन कुंजी को अकेले दबाते है तो इस से कुछ कार्य नहीं होता है लेकिन जब इन्ही कुंजीओ के साथ दूसरी कुंजी को दबाते है तो यह उन कुंजीओ का इनपुट बदल देती है ऐसी के लिए हम इन्हें मोडीफायर कुंजी कहते हैं |
6- कर्सर कुंजी (Curser Keys) – कर्सर कुंजी का अर्थ कर्सर है मॉनिटर की स्क्रीन पर झिलमिलाती हुई एक छोटी सी लाइन देखती है यह लाइन हमे वह स्थान देखती है जहां पर टाइप करा हुआ अक्षर या नंबर स्क्रीन पर देखेगा। ऐसी को कर्सर कुंजी कहते हैं |
कीबोर्ड के कितने प्रकार है
कीबोर्ड तीन प्रकार के होते है –
1- साधारण कीबोर्ड (Normal keyboard) : जो कीबोर्ड हम कंप्यूटर में सामान्य रूप से प्रयोग करते है उसे ही साधारण कीबोर्ड कहते है और इसका एक आकार आयताकार होता है तथा इसमें कुल 108 की होते है इसे कनेक्ट करने के एक केबल का इस्तमाल होता है जो हमे CPU और कंप्यूटर से जोड़ना होता हैं |
2- तार रहित कीबोर्ड (Wireless keyboard) : इस कीबोर्ड में तार का प्रयोग नहीं होता है तथा इस प्रकार के कीबोर्ड सीमित दूरी तक ही काम करते है यह साधारण कीबोर्ड से थोड़ा महंगा होता हैं |
3- ऑर्गेनिक कीबोर्ड (Ergonomic keyboard) : ऐसे कीबोर्ड को हम टाइपिंग के दौरान इस्तमाल करते है जैसे की कलाई में दर्द कम होता है और यह कीबोर्ड हमें टाइपिंग करने में आराम देता हैं |
निष्कर्ष
आज हम ने अपनी इस पोस्ट के जरिए आपको यह जानकारी दी है की keyboard ki khoj kisne ki thi और इसके अलावा हम ने आपको कीबोर्ड से जुड़ी संपूर्ण जानकारी दी है। हमें उम्मीद है कि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी होगी और आपको इस पोस्ट के द्वारा कुछ नया सीखने को मिला होगा।
FAQ: (Keyboard Ki Khoj Kisne Ki Thi से अक्सर पूछे जाने वाला सवाल)